Dubai Diwali: दीपावली के बाद तीन युवाओं की मिसाल: "जश्न के बाद सफाई भी ज़रूरी है" | Dubai Diwali

Dubai Diwali
दुबई: जहां एक ओर लोग दीपावली की रौशनी और पटाखों के रंग-बिरंगे नज़ारों में डूबे थे, वहीं अल मनखूल की गलियों में कुछ और ही तस्वीर देखने को मिली। जश्न की अगली रात, जब ज़्यादातर लोग गहरी नींद में थे, तीन प्रवासी युवाओं ने हाथ में झाड़ू और कचरे के बैग लेकर साफ-सफाई शुरू कर दी।
जश्न के बाद जो छूट गया, उसे उठाने का जिम्मा
दीपावली की रातों के बाद जब सड़कों पर जले हुए पटाखों के खोल, प्लास्टिक रैपर और गत्ते के टुकड़े जगह-जगह बिखरे मिले, तो दुबई निवासी निश शेवक ने ठान लिया कि कुछ करना चाहिए।
"21 तारीख की रात 3 बजे जब मैं घर लौटा तो देखा कि गलियों में बस कचरा ही कचरा है," निश बताते हैं। "मैं पटाखे देखने दोस्तों के साथ गया था, लेकिन लौटकर ये हाल देखकर मन दुखी हुआ।"
सोशल मीडिया पर की अपील, लेकिन पहले ही साफ हो गया था इलाका
निश ने उसी रात इंस्टाग्राम पर एक स्टोरी पोस्ट की: "मैं कल शाम सफाई करूंगा, जो जुड़ना चाहे, स्वागत है।" लेकिन सुबह उठे तो हैरान रह गए — दुबई नगर निगम ने तड़के ही पूरे इलाके को साफ कर दिया था।
"यह देखकर गर्व भी हुआ और सोचने लगा कि अगर सरकार इतनी मेहनत करती है, तो हमें भी अपना हिस्सा निभाना चाहिए," उन्होंने कहा।
एक और रात, एक और मौका
अगली रात फिर से दीपावली की रौनक और पटाखों की आवाज़ गूंजने लगी। इस बार निश ने अपने दोस्त युग के साथ मिलकर खुद सफाई का बीड़ा उठाया।
"हमने सोचा — देर भले हो, लेकिन काम तो करना ही है," निश कहते हैं। दोनों आधी रात के बाद झाड़ू और बैग लेकर निकल पड़े।
राह चलता शख्स भी बन गया साथी
जब दोनों सफाई में जुटे थे, तभी एक राहगीर आदिल ने उन्हें देखा और मदद की पेशकश की। "उसने बस इतना कहा — 'चलो, मैं भी हाथ बंटाता हूं'," निश मुस्कुराते हुए बताते हैं। फिर तीनों ने मिलकर मस्जिद के आस-पास की गलियों को चमका दिया — और ये काम करीब दो घंटे तक चला।
“सिर्फ पोस्ट करने से कुछ नहीं होता…”
निश मानते हैं कि त्योहारों के बाद साफ-सफाई की ज़िम्मेदारी सिर्फ नगर निगम की नहीं, आम लोगों की भी है।
"त्योहार हमें जोड़ते हैं, लेकिन अगर हम पीछे गंदगी छोड़ दें, तो उसकी चमक फीकी पड़ जाती है। अगर हर कोई थोड़ा समय निकालकर अपने आस-पास सफाई करे, तो समाज खुद बदल जाएगा," उन्होंने कहा।
सुबह तक हर कोना साफ़
रात करीब 3 बजे तीनों युवाओं ने सफाई खत्म की, और सुबह जब लोग उठे, तो अल मनखूल मस्जिद के आसपास की गलियां फिर से चमक रही थीं — जैसे कुछ हुआ ही न हो।
छोटे कदम, बड़ी मिसाल
इन तीनों युवाओं ने दिखा दिया कि बदलाव के लिए सरकार या बड़ी योजनाओं की जरूरत नहीं होती — बस एक छोटी सी सोच, और उसे अमल में लाने का जज़्बा चाहिए।
























